हमारे लिए क्या प्लान है भगवान जी का ?
कहानी (STORY)
किसी ने बड़े कमाल की बात कही है कि हे प्रभु मुझे इतना नीचे मत गिरा देना की मैं आवाज देता रहूं और आप ना सुन पाएं और हे प्रभु मुझे इतना ऊपर मत उठा देना कि आप आवाज देते रहे और मैं ना सुन पाऊँ ये कहानी हैं घुड़साल के एक अस्तबल के मालिक की, जिसके पास में बहुत सारे घोड़े थे, लेकिन उम्र के ढलान के साथ में उम्र जाती जा रही थी और घोड़े भी कम होते जा रहे थे।
उसके पास में एक ऐसा समय आया है कि सिर्फ दो घोड़े बचे थे, उसका एक लड़का भी था। जो चाहता था कि उस बिज़नेस को लड़के को सौंप दें, लेकिन उसे भरोसा नहीं था कि बच्चे में समझ है की नहीं है वो संभाल पाएगा कि नहीं संभाल पाएगा?
वो कहते है ना? जब बुरा समय आता है तो ज्यादा ही बुरा आता है। इस व्यक्ति की जिंदगी में बुरा समय चल रहा था और इतना बुरा आया कि उन दो घोड़ों में से भी एक घोड़े की आंखें कमजोर होने लगी। उसे दिखाई देना कम होने लगा और धीरे धीरे उसकी आँखें कमजोर होती गयी। काफी इलाज करवाया।
उसके बाद में भी उसकी आंखें चली गईं। वह अंधा हो गया अभी जो दो घोड़े थे, यह साथ साथ जाते थे। बाहर किसी काम से साथ तो जाते थे लेकिन साथ वापस नहीं आ पाते थे, एक तो पहुँच जाता था, दूसरा वाला रास्ता भटक जाता था। इस आदमी को बार बार उसे ढूंढने के लिए जाना पड़ता था। ये परेशान रहने लगा था।
एक दिन
उदास बैठा हुआ था अपने अस्तबल में तब उसका लड़का आया। उसने देखा कि पापा उदास है, उसने पूछा कि पापा क्या हुआ?
तो उस व्यक्ति ने बता दिया कि क्या करूँ मैं? मेरा तो समय खराब चल रहा है। उस लड़के ने अपने पापा को एक बहुत ही साधरण आइडिया दिया। आइडिया बहुत सिंपल टाइप का है । उसने बोला की पापा आपके दिमाग में आइडिया क्यों नहीं आया? बहुत सिंपल सी बात है, जो घोड़ा सही है उसके गले में घंटी बांध दीजिये।
मुझे मालूम है इन दोनों घोड़ों की दोस्ती अच्छी है। ये जहाँ भी जाते है साथ में जाते हैं तो ये जब जाएंगे ना बाहर।
तो इनमे से जिसको दिखाई नहीं देता है। वो घंटी की आवाज सुनकर के रास्ता फॉलो करते करते वापस आ जाएगा। आपको बारबार जाने की जरूरत नहीं है, बार बार परेशान होने की जरूरत नहीं है।
अस्तवल का मालिक सोचने लगा कि इसको ये सिंपल सी बात याद क्यों नहीं आयी? बाद में उसने वही किया जो सही घोड़ा था, उसके गले में घंटी बांध दी। जब भी दोनों घोड़े बाहर जाते थे, सुरक्षित वापस आ जाते थे। जो घोड़ा सही था, जिसको दिखाई देता था, जिसके गले में घंटी बंधी थी, वो इस बात का ध्यान रखता था कि पीछे वाला जो है, जिसे दिखाई नहीं देता है, वो चल रहा है कि नहीं चल रहा है। साथ में मेरे साथ आया की नहीं आया। सही वाला घोड़ा उस अंधे घोड़े को साथ साथ लेकर के पहुँच जाता था।
डेढ़ दो महीने तक इस व्यक्ति ने देखा और जब उसे लगा के एक्सपेरिमेंट काम कर गया है तो उसने अपने लड़के को बुलाया और कहा कि सुनो तुम अब समझदार हो गए हो, तुम लायक हो इस अस्तबल को संभालने के।
और कहने लगा की जब मैं तुम्हारी उम्र का था, मेरे पास में बहुत सारे घोड़े थे, ये घुड़साल भरी हुई थी।
अब तुम्हारी जिम्मेदारी है कि इस बिज़नेस को दोबारा से खड़ा करदो तुम्हें आज से मै ये बिज़नेस तुम्हें सौंपता हूँ।
कहानी तो खत्म हो गई है, छोटी सी कहानी है लेकिन यह कहानी घुड़साल की घोड़ों की घंटी की नहीं है की कहानी आपकी और हमारी हैं अस्तबल का मालिक यानी की वो ऊपर वाला जो हम सब का मालिक है।
और ये जो दो घोड़े हैं ना, ये आप और हम जैसे से और हम में से ही लोग हैं। इस वक्त इस धरती पर यह दोनों घोड़े मौजूद है।
पहले वो वाले हैं जिनके गले में घंटी बंधी है, जो सही घोड़ा है, जिसका काम है कि पीछे वाले को रास्ता दिखाए वो घंटी की आवाज सुनकर के आपके पीछे पीछे वो भी आ जाए और दूसरे वो वाले हैं जिनको दिखाई देना कम हो गया है, जो इस वक्त उस अंधे घोड़े के किरदार में हैं जिनको मदद की जरूरत है। हम में से बहुत सारे लोग हैं जो कि अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
छोटा से छोटा सा काम है, छोटी सी बात है जो आपके साथ शेयर करना चाहता था।
की। अगर आप सक्षम हैं तो ये मान के चलिए के ऊपर वाले ने आपको वो घोड़ा बनाया है जिसके गले में घंटी बंद है, जिसकी जिम्मेदारी है कि उस पीछे वाले घोड़े को रास्ता दिखाए और अगर आप इस वक्त उस घोड़े के किरदार में इसको दिखाई कम दे रहा है, जिसका रास्ता नहीं दिख रहा है तो यकीन मानिए विश्वास करिए आपकी जिंदगी में भी वो घोड़ा आता ही होगा जिसके गले में घंटी बंधी है।
ज्ञान की बाते बहुत सारे लोग करते है। ज्ञान सबके पास है मुस्कान बाँटते चलिए यही आपसे कहना है। एक बार फिर से कहूंगा ऊपर वाले के आशीर्वाद के साथ अपनी सच्ची मेहनत के साथ और अपनों के प्यार के साथ।
-:- कर दीजिये किसी की मदद आपका क्या जाता है लेकिन आपकी एक मदद से किसी का जीवन सँवर जाता है