अमरनाथ में जून जुलाई की गर्मी में कैसे होता है शिवलिंग का निर्माण ?
स्थान तो हर जगह होते है लेकिन जहां भगवान का निवास हो उसकी तो बात ही निराली है तो चलिए आज हम देवों के देव महदेव के एक ऐसे पवित्र स्थल की जानकरी देते जहां जून जुलाई की गर्मी में भी बर्फ से पवित्र शिवलिंग का निर्माण होता है, भारत देश में कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है. वहाँ पर बहुत हिन्दू तीर्थ स्थल गिनती के हिसाब से तो 45 शिव धाम, 60 विष्णु धाम, 3 ब्रह्मा धाम, 22 शक्ति धाम, 700 नाग धाम तथा असंख्य तीर्थ थे.
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Photo credit : World pilgrimage guide |
अनेकों पवित्र स्थलों का मुगलकाल में अस्तित्व मिटा दिया गया।
लेकिन मुगलकाल में अधिकतर स्थलों का अस्तित्व मिटा दिया गया। फिर भारत पाकिस्तान के युद्ध में पाकिस्तान द्वारा अधिकृत किए गए कश्मीर के सभी तीर्थों को नष्ट कर दिया गया, जो सभी शिव से जुड़े थे। इन सभी में अमरनाथ का अधिक महत्व है। उदाहरणार्थ, जम्मू में एक नगर है अवंतीपुर। किसी समय यह नगर कश्मीर की राजधानी था, तथा राजा अवंती वर्मन के नाम पर बसाया गया था। पुरातत्वसर्वेक्षण विभाग ने यहां के प्रसिद्ध मंदिर को जमीन से खोदकर निकाला है, जिसकी छटा ध्वस्त हो चुकी है। परंतु 700-900 वर्ष पुराना यह मंदिर अपने काल की समृद्धि, उत्कृष्ट कला कौशल तथा स्थापत्य को प्रदर्शित करने के लिए पर्याप्त है।
क्या आप जानते है की शिवलिंग का निर्माण किस प्रकार होता है:-
कुछ लोगों का मानना है, कि यह शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बनता है। अर्थात गुफा में एक एक बूंद पानी नीचे सेंटर में गिरता है और वही धीरे धीरे बर्फ के रूप में बदल जाता है। लेकिन अब सवाल उठता है कि गर्मी में तो बर्फ पिघलना शुरू होती है तब फिर गर्मी में कैसे बनता है यह हिमलिंग ?
अकबर के इतिहासकार अबुल फजल (16वीं शताब्दी) ने आइना-ए-अकबरी में उल्लेख किया है कि अमरनाथ एक पवित्र तीर्थस्थल है। गुफा में बर्फ का एक बुलबुला बनता है। जो थोड़ा-थोड़ा करके 15 दिवस लगतार क्रमिक गति से बढ़ता रहता है और दो गज से अधिक ऊंचा हो जाता है।चन्द्रमा के घटने के साथ-सा देता है और जैसे - जैसे चांद लुप्त होने लगता है वैसे ही शिवलिंग विलुप्त हो जाता है।
मुग़ल इतिहासकार अबुल फजल के अनुसार
अमरनाथ की इस पवित्र गुफा और पवित्र शिवलिंग की कथा का वर्णन अबुल फजल ने अपनी लिखी पुस्तक में उल्लेख किया है, मुग़ल इतिहासकार अबुल फजल के अनुसार हिन्दुओ के देवता का एक अति पवन स्थान है । गुफा में बर्फ का एक बुलबुला बनता है। जो थोड़ा-थोड़ा करके 15 दिन तक रोजाना बढ़ता रहता है और दो गज से अधिक ऊंचाई बढ़ जाती, जब चाँद का आकर धीरे काम होता है उसी प्रकार चाँद के साथ-साथ वह भी घटना शुरू कर देता है
इंग्लैंड की ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में हिंदुस्तानी इतिहास के लेखक Vicente A. smith ने बरनियर की पुस्तक के दूसरे संस्करण का सम्पादन करते समय टिप्पणी की थी कि अमरनाथ गुफा आश्चर्यजनक जमाव से परिपूर्ण है जहां छत से पानी बूंद-बूंद करके गिरता रहता है और जमकर बर्फ के खंड का रूप ले लेता है।
बहुत से लोग मानते हैं कि इस शिवलिंग का निर्माण गुफा की छत से जब पानी की बूँदें नीचे की और रिसती है तो शिवलिंग बनता है. यह बूंदे नीचे गिरते ही बर्फ का रूप लेकर ठोस हो जाती है। यही बर्फ एक विशाल लगभग 12 से 18 फीट तक ऊंचे शिवलिंग का रूप ले लेता है। कभी कभी यह 22 फीट तक होती है।
-:गर्मी में कैसे हो सकता है बर्फ का जमाव :-
हालांकि वैज्ञानिक मानते हैं कि जिन प्राकृतिक स्थितियों में इस शिवलिंग का निर्माण होता है वह विज्ञान के तथ्यों से विपरीत है। यही बात सबसे ज्यादा अचंभित करती है। विज्ञान के अनुसार बर्फ को जमने के लिए करीब शून्य डिग्री तापमान जरूरी है। किंतु अमरनाथ यात्रा हर साल जून-जुलाई में शुरू होती है।
तब इतना कम तापमान संभव नहीं होता। हालांकि कुछ वैज्ञानिक तर्क का घुमाव ही कुछ ऐसा है कि में प्राकृतिक रूप से विशाल कारण है कि यह बाकी स्थानों की बर्फ पिघल जाने पर भी अपना अस्तित्व बनाए रखता है।
अपना अपना नजरिया बहुत से वैज्ञानिक तर्क देते हैं कि इस गुफा में हवा का घुमाव ही कुछ ऐसा है कि यहां हर साल शरद ऋतु में प्राकृतिक रूप से विशाल शिवलिंग बन जाता है। यही कारण है कि यह बाकी स्थानों की बर्फ पिघल जाने पर भी अपना अस्तित्व बनाए रखता है।
इस बारे में विज्ञान के तर्क है कि अमरनाथ गुफा के आस-पास और उसकी दीवारों में मौजूद दरारे या छोटे-छोटे छिद्रों में से शीतल हवा की आवाजाही होत रहती है। इससे गुफा में और उसके आस-पास बर्फ जमकर लिंग का आकार ले लेती है।
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Photo Credit - The Economic Times |
किंतु इस तथ्य की कोई पुष्टि नहीं हुई है क्योंकि यह दोनों ही बातें तर्क पर आधारित है। धर्म में आस्था रखने वालों का मानते हैं कि यदि यही नियम शिवलिंग बनने का है तो संपूर्ण क्षेत्र में और भी गुफाएं हैं जहां बूंद बूंद पानी टपकता है वहां क्यों नहीं बनता है हिमलिंग? ऐसा होने पर बहुत से शिवलिंग इस प्रकार बनने चाहिए।
आश्चर्य की बात यह है कि अमरावती नदी के पथ पर कई छोटी-बड़ी गुफाएं दिखती हैं,लेकिन वहां कोई शिवलिंग निर्माण बर्फ नहीं होता है दूसरी सबसे बड़ी बात कि इस गुफा में और शिवलिंग के आस-पास मीलों तक सर्वत्र कच्ची बर्फ पाई जाती है, जो छूने पर बिखर जाती है लेकनि यह किसी चमत्कार से कम नहीं है कि सिर्फ हिम शिवलिंग का निर्माण पक्की बर्फ से होता है।
ध्यान देने योग्य और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की इसकी ऊंचाई चंद्रमा की कलाओं के साथ घटती-बढ़ती है। चंद्रकला की बात करें तो ऐसा ग्रंथों में लिखा मिलता है कि भगवान शिव इस गुफा में पहले पहल श्रावण की पूर्णिमा को आए थे इसलिए उस दिन को श्री अमरनाथ की यात्रा को विशेष महत्व मिला। रक्षा बंधन की पूर्णिमा के दिन ही छड़ी मुबारक भी गुफा में बने हिम शिवलिंग के पास स्थापित कर दी जाती है।
हिन्दुओं का दायित्व : हिमलिंग और अमरनाथ की प्रकृति की रक्षा करना जरूरी है। कुछ वर्षों से बाबा अमरनाथ गुफा के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है जिसके चलते वहां मानव की गतिविधियों से गर्मी उत्पन्न हो रही है। कुछ श्रद्धालु अब वहां धूप और दीप भी जलाने लगे हैं जो कि हिमलिंग और गुफा के प्राकृतिक अस्तित्व के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। शिवलिंग को छूकर या उसके पास धूपबत्ती जलाकर अपनी श्रद्धा प्रगट करना गलत है, इसका ध्यान रखा जाना चाहिए ।