नमस्कार मित्रों ॐ नमः शिवः क्या आप जानते है की शिवलिंग पर जलाभिषेक क्यों किया जाता है. महादेव पर भस्म क्यों अप्रीत किया जाता है. और उनको बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है तो चलिए इस लेख के जरूये हम आपको को इस कथा के विषय में बताते है।
आज यानि 10 जुलाई 2023 को सावन का पहला सोमवार शिवलयों में भारी भीड़ है इस वार सावन में 8 सोमवार पड़ रहे है. तो चलिए अपने प्रसंग पर लौटते है, की शिवलिंग पर जलाभिषेक क्यों किया जाता है
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वेद पुराणों में दी गयी कथा के अनुसार सावन के महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था उस मंथन में ही हलाहल ज़हर का कलश निकला था. जहर के कलश को कोई भी पक्ष यानि नाही सुर और नाही असुर विष के घड़े को लेना चाह रहे थे।
ऐसे में भगवान शिव ने इस विष को ग्रहण करके उसे अपने गले में धारण करके सृष्टि को बचाया था। विष के प्रभाव से भगवान शिव की पावन देह का ताप बहुत ज्यादा हो गया था तब शिवजी के शरीर के ताप को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने उन पर जल चढ़ाया था। इस कारण से शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा है।

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आप लोग भलीभाँति की देवी-देवताओं में भवन महादेव सबसे जल्द प्रसन्न होने वाले देवता होते हैं। यदि आप और हम कोई भी सच्चे मन से इन्हें मात्र एक लोटा जल अर्पित कर दें तो यह भक्त की सभी मनोकामनाओं को पूरा कर देते हैं। देवादिदेव महादेव की पूजा में भस्म एक बहुत ही जरूरी पूजा सामग्री मानी जाती है। शिवपुराण के अनुसार बिना भस्म चढ़ाएं शिव जी की पूजा अधूरी मानी जाती है।
शिवजी के अपमान को सुनकर देवी सती ने हवन कुंड में जलकर अपने प्राण त्याग दिए थे। जब यह बात शिव जी को मालूम हुई तब क्रोधित होकर उन्होंने सती की चिता की भस्म को अपने पूरे शरीर में लपेट कर तांडव किया था। तभी से शिव जी को भस्म लगाने की परंपरा शुरू हुई।
भगवान शिव शंकर को बेल पत्र क्यों चढ़ाया जाता है :-
पहली कथा पौराणिक कथाओं के अनुकसार ज
ब समुद्र मंथन के बाद विष निकला तो भगवान शिव ने पूरी सृष्टि को विनाश से सुरक्षित करने और जनमानस की भलाई के लिए ही महादेव ने इस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया।
हलाहल के प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया और उनका पूरा शरीर अत्यधिक गरम हो गया जिसकी वजह से आसपास का वातावरण भी गरम होने लगा। यधपि बेलपत्र विष के प्रभाव को कम करता है बेलपत्र के इसी गुण के कारन सभी देवी देवताओं ने बेलपत्र शिवजी को खिलाना शुरू कर दिया, बेलपत्र के साथ साथ शिव को शीतल रखने के लिए उन पर जल भी अर्पित किया गया
। बेलपत्र और जल से अभिषेक करने पर भगवान शिव शंकर के शरीर में उत्पन्न गर्मी का प्रभाव कम होने लगा होने और उसी समय से शिवलिंग का जलाभिषेक करने एवं बेलपत्र चढ़ाने की प्रथा का आरम्भ हुआ. saawan ke somvaar
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भगवान शिव शंकर को बेल पत्र क्यों चढ़ाया जाता है :-
दूसरी कथा के अनुसार एक भील नाम का डाकू था। यह डाकू अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए जनमानस से मारपीट करके उनके धन को छीन लेता था. बहुत समय के बात है सावन का महीना था, भील नामक यह डाकू राहगीरों को लूटने के उद्देश्य से जंगल में गया।
इसके लिए वह एक वृक्ष पर चढ़कर बैठ गया। देखते ही देखते पूरा एक दिन और पूरी रात बीत जाने पर भी उसे कोई शिकार नहीं मिला। जिस पेड़ पर वह डाकू चढ़कर छिपा था, वह बिल्व का पेड़ था।
काफी समय ऐसे ही गुजर जाने से सीओ डाकू व्याकुल निरा हो गया और बेल के पत्ते तोड़कर नीचे फेंकने लगा।जिस वृक्ष पर वह बैठा था उसी वृक्ष के बिलकुल समीप एक शिवलिंग स्थापित था। भील जो पत्ते तोड़कर नीचे फेंक रहा था,
वे शिवलिंग पर गिर रहे थे, और इस बात से भील पूरी तरह से अनजान था। भील द्वारा लगातार फेंके जा रहे बेल के पत्ते शिवलिंग पर गिरने से भगवान शिव प्रसन्न हुए और अचानक डाकू के सामने प्रकट हो गए।
भगवान शिव ने भील डाकू से वरदान मांगने के लिए कहा, और भगवान शंकर जी ने उस भील को मनवांक्षित वर देकर उसे कृतज्ञ करके भोलेनाथ अंतर्ध्यान हो गए और उसी प्रकरण के फलस्वरूप लोगो में भील डाकू के साथ हुई घटना के प्रभाव से न्र नारी से लेकर देवता भी भी शिव जी को बेलपत्र अर्पित करने लगे बात और उसी समय से भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने का महत्व और अधिक बढ़ गया।
shivling par Beltra kyo chadaya jata hai