रुद्राक्ष पहनने से कई बीमारियां ठीक हो सकती हैं।



रुद्राक्ष का जुड़ाव भगवान शिव से माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि रुद्राक्ष के पेड़ शिव के आंसुओं से बने हैं।
रुद्राक्ष का शाब्दिक अर्थ में रुद्र का मतलब शिव और अक्ष आंसुओं का प्रतीक है। रुद्राक्ष का फल पहले हरा, फिर गहरा नीला और अंत में गहरे भूरे रंग का हो जाता है।


धार्मिक महत्व के कारण इसे पहना जाता है लेकिन इसके सेहत से जुड़े कई फायदे भी हैं। रुद्राक्ष पहनने से कई बीमारियां ठीक हो सकती हैं। मुंबई यूनिवर्सिटी के रिसचर्स ने 2005 में बताया कि रुद्राक्ष से डायबिटीज और हृदय के रोगियों को काफी फायदा होता है। रुद्राक्ष की माला का उपयोग पारंपरिक रूप से हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और अन्य आध्यात्मिक प्रथाओं में ध्यान, प्रार्थना और उपचार उद्देश्यों के लिए किया जाता है।


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 108 मनकों वाली रुद्राक्ष माला (हार) पहनने के लाभों में विश्वास आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में गहराई से निहित है। हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये लाभ बड़े पैमाने पर वैज्ञानिक प्रमाणों के बजाय आध्यात्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं। 108 मनकों वाली रुद्राक्ष माला पहनने के हृदय संबंधी लाभों के बारे में अक्सर यह माना जाता है:


रुद्राक्ष पहनने के फायदे 

शांति और तनाव में कमी: ऐसा माना जाता है कि रुद्राक्ष माला पहनने से मन और शरीर पर शांत प्रभाव पड़ता है, तनाव, चिंता को कम करने और विश्राम को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। शांत मन अक्सर स्वस्थ हृदय से जुड़ा होता है।



ब्लड प्रेशर : कुछ आध्यात्मिक परंपराओं का दावा है कि रुद्राक्ष की माला में रक्तचाप को नियंत्रित करने की क्षमता होती है, जो अप्रत्यक्ष रूप से हृदय स्वास्थ्य में योगदान कर सकती है। तनाव और चिंता कम करने से रक्तचाप के स्तर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।


बेहतर ब्लड सर्कुलेशन : रुद्राक्ष माला पहनने से रक्त परिसंचरण में सुधार हो सकता है, जो स्वस्थ हृदय प्रणाली को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।


ऊर्जा को संतुलित करना:
आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार, रुद्राक्ष की माला में विद्युत चुम्बकीय और कंपन संबंधी गुण होते हैं जो शरीर के ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) को संतुलित और संरेखित कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह संतुलन हृदय स्वास्थ्य सहित समग्र कल्याण में योगदान देता है।


हृदय चक्र सक्रियण:
चक्र ऊर्जा केंद्रों के संदर्भ में, हृदय चक्र (अनाहत) प्रेम, करुणा और भावनात्मक कल्याण से जुड़ा है। माना जाता है कि रुद्राक्ष माला पहनने से हृदय चक्र उत्तेजित और संतुलित होता है, जिससे भावनात्मक स्थिति स्वस्थ हो सकती है।


इन मान्यताओं पर खुले दिमाग से विचार करना और यह समझना महत्वपूर्ण है कि वे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराओं का हिस्सा हैं। जबकि कई लोग रुद्राक्ष की माला पहनने और संबंधित प्रथाओं में भाग लेने से व्यक्तिगत लाभ पाते हैं, इन दावों का समर्थन करने के लिए सीमित वैज्ञानिक प्रमाण हैं। यदि आप रुद्राक्ष माला पहनने के संभावित लाभों की खोज में रुचि रखते हैं, तो हृदय स्वास्थ्य के लिए साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण, जैसे नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों से चिकित्सा सलाह को प्राथमिकता देते हुए ऐसा करना उचित है।


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आप कैसे पहचानेगे की कौन सा रुद्राक्ष सही

रुद्राक्ष को दो बराबर भागों में काटकर देखा जा सकता है कि मनके के अंदर की संरचना बाहर के मुखी से मिलती है या नहीं। एक्स-रे या सीटी स्कैन से भी यह पता किया जा सकता है। रुद्राक्ष को हमेशा जान-पहचान के विश्वसनीय डीलर से खरीदना चाहिए।


 कैसे सुरक्षित रखें आप अपने रुद्राक्ष को

पुराने दिनों में रुद्राक्ष को चीटियों से या खराब होने से बचाने के लिए केसर, हल्दी, पीली सरसों, कुमकुम और अश्वगंधा के साथ रखा जाता था। मनके को प्रिजर्व करने एवं रुद्राक्ष को और गहरा रंग देने के लिए उसे सरसों तेल या चंदन के तेल में भी रखा जाता था। अपितु टेक्नोलॉजी के इस दौर में भी इन चीजों का इस्तेमाल रुद्राक्ष को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है। इस पवित्र मनके को लंबे समय तक रखने के लिए उसकी सफाई रेगुलर करनी चाहिए।


भगवान महादेव के इस पवित्र अंश (रुद्राक्ष ) को  धारण करने के क्या हैं नियम

हमारे धर्म ग्रंथो के अनुसार रुद्राक्ष का सीधा संबंध भगवान शिव से माना गया है। भगवान शिव से जुड़े होने के कारण रुद्राक्ष को बहुत ही पवित्र माना जाता है। यही कारन है की रुद्राक्ष धारण करने को लेकर कई नियम हैं। रुद्राक्ष की माला बनवाते समय ध्यान रखें कि उसमें कम से कम 27 मनके जरूर हों।
हालाँकि सर्वोत्तम 108 मनकों वाला रुद्राक्ष होता है। कई बार लोग एक मनके वाला रुद्राक्ष भी गले में पहनते हैं।

इसको पहनने का सबसे अच्छा समय स्नान के बाद और रात में बिस्तर पर जाने से पहले निकाल कर रख देना चाहिए। आप कभी भी इसको बिना स्नान किए बिल्कुल स्पर्श नहीं करना चाहिए। अपने शरीर को पवित्र के बाद ही इसे धारण करें।


भगवान महादेव के इस पवित्र अंश को धारण करते समय रुद्राक्ष मूल मंत्र का 9 बार जाप करें। इसे हमेशा लाल या पीले रंग के धागे में ही धारण करें। हिन्दू धर्म में इसको तुलसी की माला की तरह की पवित्र माना जाता है।

ये ध्यान रहे कभी भी किसी अन्य व्यक्ति का पहना हुआ रुद्राक्ष कभी न पहनें और न ही अपना रुद्राक्ष किसी और को पहनाएं। नित्य क्रिया के समय जाने से पहले इसे उतारना बेहतर होता है। मरघट में रुद्राक्ष पहनकर न जाएं। रुद्राक्ष को हमेशा साफ रखें।


यदि किसी कारन से आपका रुद्राक्ष टूट जाए तो क्या करें

गले में पहनने के दौरान पानी से भीगने, गलने, धूप में निकलने के कारण कई बार रुद्राक्ष टूट जाता है। कई बार रुद्राक्ष खंडित हो जाता है या घिस जाता है तब इसे लाल धागे में प्रवाहित कर देना चाहिए।


एक नए रुद्राक्ष को कैसे पहने करें

आप कभी भी रुद्राक्ष की माला लेते हैं तो उसे पहले सरसों के तेल में हफ्ते भर रखें। पहले इसे भगवान शिव को समर्पित करें और फिर सोमवार को धारण करें।


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