कुछ दिलचस्प तिरंगा तथ्य:
तिरंगा तथ्य:
तिरंगे का डिज़ाइन पिंगाली वेंकय्या द्वारा किया गया था, जिन्हें एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और दृष्टिकोणी नेता माना जाता है।
केसरिया रंग साहस और बलिदान को प्रतिनिधित्व करता है, सफेद पवित्रता और सत्य को प्रतिनिधित्व करता है, और हरा विकास और आशा को प्रतिनिधित्व करता है।
24 किरणों वाले अशोक चक्र का अशोक चक्र महान सिंहासन श्रीचक्र से लिया गया है, जो नित्य धर्म के चक्र को प्रतिनिधित्व करता है।
झंडे की लंबाई चौड़ाई की अनुपातिकता 3:2 है और अशोक चक्र सफेद समरेखा के बीच में स्थानित है।
भारतीय राष्ट्रीय झंडा पहली बार 15 अगस्त 1947 को दिल्ली के लाल किले पर फहराया गया था, जिससे भारत की स्वतंत्रता का संकेत मिला।
तिरंगा के प्रमुख तथ्य:
तिरंगे का डिज़ाइन पिंगाली वेंकय्या नामक एक स्वतंत्रता सेनानी द्वारा किया गया था, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था।
तिरंगे के सफेद रंग का अर्थ पवित्रता और सत्य को है, जबकि केसरिया रंग साहस और बलिदान को प्रतिनिधित्व करता है।
हरे रंग का प्रतिनिधित्व विकास और आशा की आवश्यकता को करता है, और यह भारत की सफलता की उम्मीद को प्रतिनिधित्व करता है।
तिरंगे में विशिष्ट रूप से विभिन्न रंगों का उपयोग किया गया है ताकि यह भारत की विविधता और एकता को प्रतिनिधित्व कर सके।
अशोक चक्र में 24 किरणों का विशेष महत्व है, जो अशोक के सिंहासन के सिर पर जैसे होते हैं। यह नित्य धर्म की चक्रवर्ती गति को प्रतिनिधित्व करता है।
आगे बढ़ते हैं और जानते हैं 'पिंगाली वेंकय्या' के बारे में:
पिंगाली वेंकय्या:
पिंगाली वेंकय्या भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान सेनानी थे, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरणास्त्रोत और एक स्वतंत्रता संग्रामी नेता थे। उन्होंने 2 अगस्त 1876 को आंध्र प्रदेश, भारत में जन्म लिया था। पिंगाली वेंकय्या का महत्वपूर्ण योगदान भारतीय राष्ट्रीय झंडे के डिज़ाइन की रचना करने में है, जिसने भारतीय एकता और गर्व की प्रतीक्षा को प्रकट किया।'तिरंगा की खोज' की अधिक जानकारी प्राप्त करते हैं:
तिरंगा की खोज:
तिरंगे की खोज पिंगाली वेंकय्या के द्वारा की गई थी, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरणास्त्रोत रूप में काम किया। उनकी यात्रा में विभिन्न झंडों के डिज़ाइनों की अध्ययन की गई, उनके मानसिकता की समझाई गई और उन्होंने विभिन्न तत्वों को संयोजित किया जो भारतीय संस्कृति, धरोहर और आशाओं को प्रतिनिधित्व करते थे। इसके बाद, उन्होंने अपने डिज़ाइन को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व के सामने प्रस्तुत किया, जो आखिरकार इसे स्वतंत्र भारत के आधिकारिक झंडे के रूप में स्वीकृत कियातिरंगा झंडा फहराने के नियम:
भारतीय राष्ट्रीय झंडा को अत्यंत सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए। झंडा को सूर्योदय पर फहराया जाना चाहिए और सूर्यास्त पर नीचे उतारा जाना चाहिए।
झंडा कभी भूमि को छूने नहीं देना चाहिए और इसे पर्दा या सजावट के रूप में नहीं प्रयोग किया जाना चाहिए।
झंडा फहराते समय और उतारते समय, उसे शिग्रता और समारोहपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए।
झंडा को अर्ध-मस्तक पर कभी नहीं फहराया जाना चाहिए, केवल राष्ट्रीय शोक के मौकों पर यह अवस्था बनाई जा सकती है।
निजी नागरिक तिरंगा को राष्ट्रीय अवकाशों पर फहरा सकते हैं, परंतु उन्हें इसे उचित और सम्मानपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय झंडा को अधिकतम स्थानीय स्तरों पर होस्ट करने का अधिकार सरकारी संगठनों, स्कूल, कॉलेज, विभिन्न सामाजिक संगठनों और व्यापारिक स्थानों को होता है।
झंडा को अधिकतम समय तक फहराया जा सकता है, लेकिन इसे नीचे उतारने के समय भी विशेष सावधानी बरतनी चाहिए ताकि यह किसी भी भाग में नहीं आता।
राष्ट्रीय झंडा को अधिकतम समय तक फहराने के बाद उसे स्वच्छ और सुरक्षित तरीके से संग्रहण करना चाहिए।
झंडा के तार स्वच्छता के साथ रखने और उन्हें काटने से बचना चाहिए, ताकि झंडा अपनी महत्वपूर्णता और गरिमा बनाए रख सके।